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Holi Festival |
होली यानी अबीर और गुलाल से रंगे गाल, ढोल की थाप पर बेहिसाब डांस, पारंपारिक खान-पान और सारे शिकवे-गिले मिटाकर मेल-मिलाप। यही सब कुछ तो है इस त्यौहार की पहचान। यह त्यौहार देश के कई हिस्सों में पारंपरिक, तो कुछ हिस्सों में अलग तरीके से मनाया जाता है। आयोजन का तरीका कुछ भी हो, लेकिन इस त्यौहार का हर्षोल्लास देशभर में एक-सा होता है।
बरसाने की लट्ठमार होली
भगवान कृष्ण और होली का घर रिश्ता है। उसी का प्रतीक है ब्रज के बरसाना की लट्ठमार होली। यूपी में मथुरा के पास बसे बरसाने में होली की बागडोर औरतों के हाथ में रहती है, जो नंदगांव के पुरषों पर लट्ट से वार और रंगों की बौछार करती हैं। बरसाने में अनोखे तरीके से मनाए जाने वाले होली की शुरआत सप्ताह भर पहले हो जाती है और जश्न पुरे महीने भर चलता है। बरसाने ही होली देश में ही नहीं , बल्कि विदेश में भी लोकप्रिय है।
लड्डू गोपाल संग लड्डू की होली
यूपी में बरसाने के अलावा वृंदावन और मथुरा की होली देशभर में अपनी अलग पहचान रखती है। मथुरा लड्डू गोपाल यानी श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है तो वृंदावन में पालन-पोषण हुआ था, इसलिए होली के त्यौहार पर यहां के लोगों का उत्साह और माहौल दोनों देखते ही बनता है। यहां बरसाना के लट्ठमार होली की तर्ज पर लड्डू होली मनाई जाती है, जिसमें राधा-कृष्ण की भक्तिमय गाने बजते हैं, और उस दौरन एक-दूसरे को लड्डुओं से मारा जाता है। कृष्ण की भक्ति और रंगों में सराबोर होकर त्यौहार मनाते हैं।
उदयपुर में राजसी रंग
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Holika Dahan |
हाथियों संग मनाएं त्यौहार
दुनिया भर में 'पिंक सिटी' के नाम से मशहूर राजस्थान के जयपुर में होली की शुरुआत हठी द्वारा होती है। इस मौके पर हाथियों को सजाया-संवारा जाता है और परेड भी निकली जाती है। इस मौके पर हाथियों द्वारा नृत्य, सुंदरता प्रतियोगिता, रस्साकशी के भी आयोजन भी कराए जाते हैं। उसके बाद वहां के लोग हाथियों के साथ होली भी खेलते हैं।
शांतिनिकेतन में फूलों की होली
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shantiniketan holi |
हम्पी में होली
कर्नाटक के हम्पी में होली के दिन सुबह से ही रंगों के साथ नाच-गाने की शुरुआत होती है। यहां विजयनगर मन्दिर इसके लिए खासतौर से जाना जाता है। पूरी तरह होली खेल लेने के बाद नदी के पानी से इन रंगों को छुड़ाने का रिवाज है। हम्पी में विदेशी पर्यटक भी खूब आते है।
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