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renuka-lake-in-nahan |
मुख्य शहर को चंद घण्टों में घूम जा सकता है। यहां की गलियां संकरी पतली है। सभी छतें समान ऊंचाई की नहीं, तब भी एक छत से दूसरी पर आराम से जाया जा सकता है। यहां आज भी पैदल चलना पड़ता है, क्योंकि अभी भी लोकल ट्रांसपोर्ट की सुविधा अछि नहीं है। हां, दोपहिया या चौपहिया गाड़ियां यहां भी पार्किंग से जूझती दिखती हैं। मगर बाजारों में इनकी मनाही है। पुराने बाजार में पैदल शॉपिंग कर सकते हैं।
सुबह शांत व शाम रोमांटिक
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रात में चंडीगढ़, पंचकूला, यमुनानगर और आसपास की रोशनियां देखने का लुत्फ़ भी ले सकते हैं। प्रकृति, कला, संस्कृति, साहित्य, सर्वधर्म सदभाव, सहजता व संतुष्टि भरे नगर नाहन में अनेक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा व चर्च उपलब्ध हैं। नाहन की रौनक ए शाम चौगान के नाम होती हैं। किताबों के शौकीन हैं, तो महिमा लाइब्रेरी में एक से बढ़कर एक किताबें हैं। ट्रैकिंग करना चाहें तो कई रूट्स उपलब्ध हैं। पुरातत्व में रूचि है, तो अनेक पुराने ऐतिहासिक भवन अभी भी बाकी हैं।
रानी ताल बाग
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RaniTal Nahan, Himachal Pradesh |
कैसे पहुंचें नाहन
आप शिमला (135 किमी.) से आ रहे हों, तो सोलन से इधर कुमार हट्टी नामक जगह से बाएं हाथ हो लें तो नाहन जाती बढ़िया हालत वाली सड़क उपलब्ध है। नाहन से कुछ किलोमीटर दूर से यहां की रोशनियां दिखनी शुरू हो जाती हैं। ऐसा लगता है कि गजमगाता विशाल हवाई जहाज सामने है। नाहन ऊंट कि पीट जैसी पहाड़ी पर बसाया गया था। देहरादून ( 90 किमी.) से नाहन आना हो तो पौण्टा साहिब होते हुए आ सकते हैं। यहां से नाहन कि ड्राइव सीधी, काफी दूर तक नदी के साथ है। बीच में कई स्थल आते हैं। पूरी ड्राइव के दौरान सड़कों के दोनों तरफ हरे-भरे जंगलों दिखाई देंगे। साल के वृक्ष आपको बार-बार रोकेंगे और आपका कैमरा अपनी भूमिका बखूबी अदा करेगा। खजुरना पुल पर कुछ देर रुक कर, फिर चल कर नाहन से तीन किलोमीटर पहले दाएं तरफ चढ़ती सड़क से होकर आप नाहन पहुंच सकते हैं। इतिहास बताता है कि अंतरराष्ट्रीय कलाकार जेसी फ्रेच 1931 में नाहन आए तो यहां की सुंदरता से प्रभावित हुए थे। उनकी किताब 'ट्रैवेल इन वेस्टर्न हिमालयाज' पढ़ कर पंजाब के मुख्य सचिव कलाप्रेमी एसएस रंधावा 1963 में यहां आए और यहां के तालाबों की प्रशंसा की, जो इस जगह की जमीन में नमी बरकरार रखते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाने में सहायक रहे। निसंदेह ये तालाब आज भी उसी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। नाहन में ठहरने के लिए सर्किट हाऊस, पीडब्ल्यूडी व म्युनिसिपल रेस्ट हाऊस, एसएफडीए व अनेक प्राइवेट रिहाइशगाहें हैं। आप कहीं भी रुकें आपकी सुबह निर्मल आनंद से लबरेज होगी। अगर आपके पास समय हो तो एक दिन निकाल कर रेणुका जरूर हो आना चाहिए।
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