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Tibet_Lhasa_Potala_Palace |
तिब्बत बेहद खूबसूरत जगह है। बौद्धों के लिए ल्हासा तीर्थ की तरह ही है। इसे दुनिया की छत भी कहा जाता है। बौद्ध संस्कृति से जुड़े इस शहर में कई बौद्ध स्थल हैं। यहां का सूर्योदय देखने लायक होता है। सुबह निकलने वाली चमकती धुप के कारण इसे सनशाइन सिटी भी कहा जाता है। रात में यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है, वहीं बारिश भी होती है। दिनभर की धुप और गर्मी से राहत दिलाती इस बारिश का मजा ही कुछ और है। यह एशिया की कुछ बड़ी नदियों का जन्मस्थल भी है। ऐसे में यदि आप भी तिब्बत घूमने की योजना बना रहे हैं, तो इससे न सिर्फ आपको वहां के प्राकृतिक सौंदर्य का बोध होगा, बल्कि आप तिब्बत की सभ्यता व संस्कृति से भी रूबरू हो सकेंगें। तिब्बत में यूँ तो घूमने के लिए बहुत-सी जगहें हैं, लेकिन यहां हम आपको ऐसे 'फाइव स्टार' के बारे में बताने जा रहें हैं, जहां आपको घूमकर आना ही चाहिए और बिना इन्हें देखे तिब्बत की यात्रा पूरी नहीं कही जा सकती है।
पोटाला पैलेस
यह पैलेस तिब्बत के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है और तिब्बत की राजधानी ल्हासा की लाल पहाड़ियों पर स्थित है। इसका निर्माण तिब्बत के सम्राट सोंगसन गेम्पो ने सातवीं शताब्दी में कराया था, जबकि 17वीं शताब्दी के दौरान दलाईलामा ने इसका विस्तार किया। वर्ष 1994 में इसे यूनेस्को के वैशिवक धरोहर स्थलों में शामिल कर लिया गया। इसमें सफेद वाला पैलेस प्रशासनिक बिल्डिंग और रेड पैलेस धार्मिक बिल्डिंग हैं, जहां पर भगवान बुद्ध की प्रार्थना के लिए कई कमरे बने हुए हैं। यह अपने इमारतों और बनावट के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां के सभी स्तूप सोने की परत से ढके हुए हैं।
जोखांग मंदिर
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jokhang temple |
बरखोर स्ट्रीट
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Barkhor-Street |
डेपुंग मठ
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drepung-monastery |
तिब्बत म्यूजियम
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tibet museum |
क्या खाएं
तिब्बती में आपको चाइनीज, नेपाली, वेस्टर्न और भारतीय फ़ूड मिल जाएंगे। आमतौर पर तिब्बती फ़ूड में मटन का इस्तेमाल ज्यादा होता है। यदि आप मटर चाय नहीं पी सकते हैं तो मिल्क चाय का मजा जरूर उठा सकते हैं। यहां अलग-अलग तरह से बनाए जाने वाले नूडल्स का लुफ्त भी उठा सकते हैं।
कब जाएं
तिब्बत के मौसम की खासियत है कि यहां सुबह में गुनगुनी धुप निकलती है और रात के समय यहां खूब ठंड पड़ती है। यहां ठंड मौसम के साथ बारिश का लुफ्त भी उठाया जा सकता है। आमतौर पर तिब्बत घूमने के लिए मार्च से अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है।
कैसे जाएं
रेल, सड़क और वायु मार्ग से ल्हासा जुड़ा हुआ है। आप चाहें, तो तिब्बत चीन या फिर नेपाल के रास्ते भी पहुंच सकते हैं। दिल्ली-काठमांडू होते हुए भी ल्हासा जा सकते हैं।
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