Monday, July 3, 2017

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"sariska national park" wildelife adventure

sariska national park
अरावली पहाड़ियों पर छोटी-छोटी घास, उसके साथ छोटे-बड़े पौधें और फिर लंबे और घने वृक्ष... एक विहंगम दृश्य खींचता जाता है। जयपुर-अलवर-दिल्ली राजमार्ग पर सरिस्का राष्ट्रीय उधान है। यह राजमार्ग जगंल के बीच से निकलता है। जयपुर से लगभग 110 किलोमीटर की दुरी पर 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राजस्थान के सबसे बड़े अभ्यारण्य में से एक है
सड़क के किनारे रियासती काल का बना महल 'सरिस्का पैलेस होटल' आंगतुकों का ध्यान आकर्षित करता है। इसका निर्माण महाराजा जयसिंह ने कराया था। यह महल शिकारगाह के उद्देश्य से बनाया गया था। इस महल के विपरीत दिशा में वन विभाग का विश्राम गृह है। इस विश्राम गृह के ठीक पीछे राजस्थान पर्यटन विकास निगम का 'टाइगर डेन' पर्यटक बंगला है। यह बंगला सुंदर, स्वच्छ और आकर्षक है। 'टाइगर डेन' के कमरे आरामदेह हैं। सरिस्का उद्यान में प्रवेश के बाद पर्यटन निगम की दो जीपें अभ्यारण्य के अंदर घुमाने के लिए जाती हैं।

टाइगर रिज़र्व
राज्य सरकार ने इसे 1955 में अभ्यारण्य घोषित किया और फिर 1982 में इसे राष्ट्रीय पार्क का दर्जा दिया गया। इसके बाद यहां 'बाघ बचाओं परियोजना' की शुरआत भी की गई। सरिस्का अभ्यारण्य मुख्यत: पहाड़ियों पर फैला है। इन पहाड़ियों पर कनकबारी व् सरिस्का दो बड़े पठार हैं। घाटियों में काली घाटी, पांडुपोल, राइका, सरिस्का एक छोडि घाटी है, जो बैरन ताल के दरवाजे से शुरू होकर थानागाजी तक जाती हैं। इस चौड़ी घाटी में कई छोटी-छोटी घाटियां हैं, जो बांदीपुल, गमोरि, आलवाल व काली घाटी में आकर मिलती हैं। इन पहाड़ियों की यह विशेषता कही जा सकती है कि ये एक समान ऊंचाई पर हैं। लगभग एक ही पंक्ति में लगती हैं। सुरक्षित वन क्षेत्र से ही अलवर-दौसा मार्ग है। अनुपम सौंदर्य युक्त्त काली घाटी भी इसी क्षेत्र का एक अंग है। काली घाटी में जल स्रोतों के कारण जानवरों कि गतविधियां सबसे अधिक रहती हैं। कहा जाता है कि यह क्षेत्र कभी इतना सघन और हरा-भरा था कि दिन में सूर्य के वहां से दर्शन नहीं हो पाते थे। शेर, चीते और बघेरों कि संख्या बहुत थी।

पांडुपोल
सघन वन और एकांत घाटी के बीच पूरा रास्ता पर करने के बाद पांडुपोल आता है। पांडुपोल के समीप पानी का बहता झरना एक पहाड़ी नदी का दृश्य उपस्थित करता है। ग्रीष्मकाल में यह स्थान हरियाली और जल कुंड के कारण शीतल रहता है। पांडुपोल में हनुमान जी का मंदिर है। जहां सैकड़ों प्रचीन हिंदू व जैन मूर्तियों का भंडार है।

वन्य जीव
wildlife in sariska national park
सरिस्का में बाघ, चीते, बघेरे, नीलगाय, सांभर, चीतल, हिरण आदि बड़ी संख्या में है। जंगलों में शाम ढलने के साथ-साथ शिकारी जानवर पानी व भोजन कि तलाश में जल स्रोतों पर दिखाई देते हैं। बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच में से घाटी पर पुल के पास जानवरों कि संख्या सबसे अधिक दिखाई देती है। बाघ सबसे अधिक 'सलोपका' क्षेत्र में है। सलोपका काली घाटी से पांडुपोल के रास्ते में है। सांभर और मृग के झुंड के झुंड दिखाई देते है।
यहां पर जंगली कुत्ते, नीलगाय, बंदर पर्यटकों को जगह-जगह मिलते हैं। सरिस्का में मुख्य रूप से घोंक, सालर व खैर वनस्पति है। प्रमुख वनस्पति तेंदू, खिरनी, गुंरजन, ढाक, बेर, जामुन, कदम, गूलर बांस आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। सलोपका क्षेत्र में पानी अधिक होने के कारण वृक्ष बहुत अधिक और जंगल सघन हैं।



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